विश्वकर्मा पूजा: सम्पूर्ण विधि

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Introduction विश्वकर्मा पूजा: सम्पूर्ण विधि

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विश्वकर्मा पूजा: महत्व, इतिहास और  विश्वकर्मा पूजा: सम्पूर्ण विधि

विश्वकर्मा पूजा, जिसे ‘विश्वकर्मा जयंती’ भी कहते हैं, भारत में हर साल 17 सितंबर को मनाई जाती है। यह दिन खासकर उन लोगों के लिए बेहद खास होता है जो शिल्प, इंजीनियरिंग, वास्तुकला और तकनीकी काम से जुड़े हैं। इस दिन देवताओं के दिव्य वास्तुकार, भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है।

भगवान विश्वकर्मा कौन हैं?

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड का पहला और सबसे महान इंजीनियर माना जाता है। उन्होंने स्वर्ग, देवताओं के अस्त्र-शस्त्र और यहां तक कि देवताओं के रहने के लिए महल भी बनाए थे। यह माना जाता है कि उन्होंने ही भगवान कृष्ण के लिए द्वारका शहर, रावण के लिए लंका और पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ का निर्माण किया था। इसलिए, उन्हें शिल्प और निर्माण का देवता कहा जाता है।

पूजा का महत्व और उद्देश्य

विश्वकर्मा पूजा का मुख्य उद्देश्य भगवान विश्वकर्मा के प्रति आभार व्यक्त करना और उनसे आशीर्वाद लेना है। इस दिन कारीगर, इंजीनियर, मजदूर और व्यवसायी अपने औजारों, मशीनों और उपकरणों की पूजा करते हैं। उनका मानना है कि ऐसा करने से काम में सफलता मिलती है और व्यवसाय में वृद्धि होती है। इस पूजा का एक और बड़ा मकसद यह भी है कि लोग अपने औजारों का सम्मान करें और उनका उचित रखरखाव करें।

 

विश्वकर्मा पूजा कैसे की जाती है?

यह पूजा बहुत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाती है।

* सफाई और सजावट: पूजा से एक दिन पहले, लोग अपने कारखानों, दुकानों और कार्यस्थलों की साफ-सफाई करते हैं। मशीनों और औजारों को अच्छी तरह से चमकाया जाता है और फूलों और रंगोली से सजाया जाता है।</p>

* पूजा का आयोजन: पूजा के दिन, भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित की जाती है। एक कलश रखा जाता है और दीपक जलाया जाता है।</p>

 * औजारों की पूजा: सभी औजारों और मशीनों पर तिलक लगाकर और फूल चढ़ाकर उनकी पूजा की जाती है। इस दिन इन औजारों का उपयोग नहीं किया जाता है।</p>

 * मंत्रों का जाप: पूजा के दौरान, भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का जाप किया जाता है और आरती की जाती है।</p>

 * प्रसाद: पूजा के बाद, प्रसाद का वितरण किया जाता है, जिसमें अक्सर मिठाई और फल शामिल होते हैं।</p>

यह पूजा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह काम और उससे जुड़े औजारों के प्रति सम्मान दर्शाने का एक तरीका है। यह हमें याद दिलाती है कि हर वह चीज जो हमारे जीवन को आसान बनाती है, उसका सम्मान करना चाहिए।

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