दीपावली – प्रकाश का पर्व

दीपावली – प्रकाश का पर्व

परिचय दीपावली – प्रकाश का पर्व

परिचय दीपावली – प्रकाश का पर्व

 

दीपावली या दीपाली भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और लोकप्रिय पर्व है। “प्रकाश का पर्व” कहलाने वाली दीपावली को हिन्दू, जैन, सिख और बौद्ध धर्मावलम्बी अपने-अपने ढंग से मनाते हैं। यह अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान और असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है।

 

 

इतिहास

 संताली परंपरा में यह दीपावली बहुत अलग है ।

 

1.माता लक्ष्मी-संताली परंपरा में गाय को हम माता लक्ष्मी के रूप में पूजा करते हैं । इसको उसे दिन नहा धोकर के उसको उसका सीन दोनों तेल लगाकर उसमें धान  और नए पौधा जो उगता है उसको सिंह में लगा देते हैं ।

 

2. हम लोग घर को सजाते हैं अच्छी तरह से जैसे गोबर लगाकर उसे दिन हम लोग को रंग लगाते घर के सामने।

 

3. लक्ष्मी पूजन –  दीपावली के दिन को लक्ष्मी पूजा का पर्व भी माना जाता है।

 

पर्व का आयोजन

 

दीपावली सामान्यतः  5 दिनों तक मनाई जाती है: दीपावली – प्रकाश का पर्व

 

1. धनतेरस – इस दिन लोग सोना-चाँदी, बर्तन या नए सामान खरीदते हैं।

 

2. नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) – इस दिन श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया था। परंपरागत रूप से तेल स्नान करने की परंपरा है।

 

3. अमावस्या / लक्ष्मी पूजन – यही मुख्य दीपावली होती है। घर-घर में दीप जलाकर माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है।

 

4. गोवर्धन पूजा / अन्नकूट – श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की स्मृति में मनाया जाता है।

 

5. भैया दूज – भाई-बहन के पवित्र संबंध को समर्पित दिन।

दीपावली की परंपराएँ

घरों की सफाई और रंगोली से सजावट।

दीपक जलाकर वातावरण को उज्ज्वल बनाना।

 

पटाखे जलाना (हालाँकि अब पर्यावरण कारणों से इसे सीमित करने की सलाह दी जाती है)।

मिठाइयाँ बनाना और बाँटना।

जरूरतमंदों की सहायता करना।

सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

दीपावली केवल धार्मिक त्योहार नहीं है, यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह परिवार, समाज और मित्रता में प्रेम व एकता को बढ़ाता है।

आधुनिक समय की दीपावली

आज दीपावली आर्थिक दृष्टि से भी बहुत बड़ा त्योहार बन गया है। बाजारों में जबरदस्त चहल-पहल रहती है। नए कपड़े, आभूषण, घर की सजावट और उपहारों की खरीदारी होती है। लेकिन इसके साथ ही प्रदूषण और अपव्यय की समस्या भी सामने आई है। इसलिए लोग अब पर्यावरण अनुकूल दीपावली मनाने पर जोर दे रहे हैं।

 

निष्कर्ष

संताली परंपरा के कारण हमारे लिए गाय का महत्व दीपावली में और बढ़ जाता है, और हमारे परिवार में इनकी पूजा होती है। हम सभी भाई-बहन इस त्योहार के लिए बहुत उत्साहित रहते हैं। मेरे लिए, दीपावली हर्ष, उत्साह और प्रकाश का पर्व है। जब पूरा गाँव मिलकर दीये जलाता है, और रंगोली से घरों को सजाता है, तो एक अद्भुत आनंद मिलता है। यह त्योहार हमें अंधकार से प्रकाश की ओर और हमारी परंपराओं की ओर ले जाता है। मुझे लगता है कि यह त्यौहार हमें ज्ञान और खुशियाँ दोनों देता है।

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